


हर रोज़ गिरकर भी मुकमल खड़े है ऐ ज़िन्दगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े है !!



रात देर तक तेरी दहलीज़ पर बैठी रहीं आँखें,
खुद न आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता।



नसीब मेरा मुझसे क्यों खफा हो जाता है ,अपना जिसको भी मानो बेवफा हो जाता है
क्यों ना हो शिकायत मेरी नजरो को रात से सपना पूरा होता नहीं और सवेरा हो जाता है !!



ज़िन्दगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सको ले लो
क्यूंकि ज़िन्दगी जब लेना शुरू करती है तो साँसे भी नहीं छोड़ती!



मेरे अकेलेपन का मजाक बनाने वालो जरा ये तो बताओ
जिस भीड़ में तुम खड़े हो उसमे कौन तुम्हारा है !



नसीब बनकर कोई जिंदगी में आता है, फिर ख्वाब बनकर आँखों में समां जाता है
यकीन दिलाता है की वो हमारा ही है ,फिर नजाने क्यों वक़्त के साथ बदल जाता है



नज़र भी न आऊं इतना भी दूर न करो मुझे,
पूरी तरह बदल जाऊं इतना भी मजबूर मत करो मुझे !



हर किसी को सफाई न दें खुद में और झाड़ू में फर्क करना सीखें



उड़ा देती है नींदे कुछ जिम्मेदारिया घर की
रात में जागने वाला हर शख्स आशिक नहीं होता !!



जिस इंसान की सोच और नियत अच्छी होती है
भगवान उसकी मदद करने किसी न किसी रूप में जरूर आते है !!
किसी का बुरा करके खुश मत होना,क्यूंकि ऊपर वाला जब हिसाब करता है,
तो वो संभलने तो क्या,रोने के लायक भी नहीं छोड़ता है !!



किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है,
मैंने हंसकर कहा-समय !! अगर वो सही,तो सभी अपने वरना कोई नहीं



Raat Par Hindi Shayari
इन सोई हुई आँखों को गुड नाईट कहने आये हैं,
जो देख रहे हो उन ख़्वाबों में सलाम कहने आये हैं
दुआ है गुज़रे सबसे हसीं ये रात तुम्हारी,
बस आज रात यही पैग़ाम देने आये हैं



Pyar Bhari Shayari:
झूम जाते है शायरी के लफ्ज बहार के पत्तों की तरह, जब शुरू होता है बयां ए हुस्न महबूब का |



जनाजा बहुत भारी था उस गरीब का,
शायद सारे अरमान साथ लिए जा रहा था।



अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे,
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।



शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें,
हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।



वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है,
हम जान देकर भी जमाने में खतावार हुए।



आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना..!!
हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं।



कभी तिनके, कभी पत्ते, कभी खुशबू उड़ा लाई,
हमारे घर तो आँधी भी कभी तनहा नहीं आई।



मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।



बहुत जुदा है औरों से
मेरे दर्द की कैफियत,
ज़ख्म का कोई पता नहीं और
तकलीफ की इन्तेहाँ नहीं।



वो आज खूने-दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं,
सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं,
ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी,
सुर्ख जोड़े में खुद को बेरंग बनाये बैठे हैं।



मेरी मोहब्बत की न सही, मेरे सलीके की तो दाद दे,
तेरा ज़िक्र रोज करते हैं तेरा नाम लिए वगैर।



जब भी तन्हाई में आपकी याद आती है,
तब मेरे होंठों पर बस एक ही फ़रियाद आती है,
खुदा आपको जिंदगी में हर ख़ुशी दे दे,
क्योंकि हमारी ख़ुशी आपके बाद आती है।



हजारों ऐब हैं मुझमें नहीं कोई हुनर बेशक,
तू मेरी हर कमी को खूबी में तब्दील कर देना,
एक खारे समंदर सी हस्ती है मेरी मौला,
तू अपनी रहमतों से इसे मीठी झील कर देना।



कामयाबी के हर शिखर पर तुम्हारा नाम होगा,
तुम्हारे हर कदम पर दुनिया का सलाम होगा,
हिम्मत से मुश्किलों का सामना करना दोस्त,
दुआ है कि वक़्त एक दिन तुम्हारा गुलाम होगा।



न हम रहे दिल लगाने के काबिल, न दिल रहा ग़म उठाने के काबिल,
लगे उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर,न छोड़ा उसने मुस्कुराने के काबिल।



इजहार-ए-इश्क करूं या पूछ लूं तबियत उनकी,
ऐ दिल कोई तो बहाना बता उनसे बात करने का।



कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर,
बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे।



आइने और दिल का बस एक ही फसाना है,
टूट कर एक दिन दोनों को बिखर जाना है।